


दुनिया में आतंकवाद को आर्थिक मदद देने वालों पर नजर रखने वाली संस्था FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। एफएटीएफ ने कहा कि ऐसे हमले तब तक मुमकिन नहीं हैं जब तक आतंकियों के पास पैसा और फंड ट्रांसफर करने का साधन न हो।
आतंकवाद पूरी दुनिया में लोगों की जान ले रहा
एफएटीएफ ने अपने बयान में कहा कि आतंकवाद पूरी दुनिया में लोगों की जान ले रहा है, डर फैला रहा है, और इसकी आर्थिक मदद करने वाले नेटवर्क को तोड़ना बेहद जरूरी है। संस्था ने कहा कि उसके वैश्विक नेटवर्क में 200 से अधिक देश हैं और वह इन देशों की आतंकवाद-रोधी वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करने में मदद कर रही है।
एफएटीएफ 10 वर्षों से इस दिशा में काम कर रही
एफएटीएफ ने बताया कि वह 10 वर्षों से इस दिशा में काम कर रही है और अब सोशल मीडिया, क्राउडफंडिंग और वर्चुअल करेंसी जैसे नए तरीकों से आतंकियों को फंडिंग के खतरे को भी समझ रही है। इसके लिए वह जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगी जिसमें वैश्विक नेटवर्क से जुटाए गए मामलों का विश्लेषण होगा। साथ ही एक वेबिनार भी आयोजित किया जाएगा, जिससे सरकारी और निजी क्षेत्र को इन खतरों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
नो मनी फॉर टेरर
एफएटीएफ ने यह भी कहा कि वह सदस्य देशों के आतंकवाद विरोधी वित्तीय उपायों का मूल्यांकन करती है और उन क्षेत्रों की पहचान करती है जहां सुधार की आवश्यकता है। यह मूल्यांकन दुनिया के 200 से अधिक देशों में किया जा रहा है। एफएटीएफ की अध्यक्ष एलिसा डे आंडा माद्राजो (मेक्सिको) ने म्यूनिख में हाल ही में आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन में कहा, “कोई एक देश, एजेंसी या कंपनी अकेले इस खतरे से नहीं निपट सकती। हमें आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना होगा। आतंकवादी एक बार भी सफल हो जाएं, तो नुकसान बहुत बड़ा होता है, जबकि हमें हर बार उसे रोकना होता है।”
पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग की
इससे पहले भारत ने इस आतंकी हमले के बाद दुनियाभर में एक वैश्विक जनजागरूकता अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को आर्थिक मदद देने का आरोप लगाया और एफएटीएफ से पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग की। बता दें कि पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला गया था और 2022 में इससे बाहर किया गया था। अगर पाकिस्तान दोबारा ग्रे लिस्ट में जाता है तो उसकी अंतरराष्ट्रीय कर्ज हासिल करने की क्षमता प्रभावित होगी।